काल सर्प दोष एक ज्योतिषीय स्थिति है जिसके कारण व्यक्ति के जीवन में अनेक बाधाएं आ सकती हैं। इस दोष के निवारण के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं, जिनमें से एक है काल सर्प दोष पूजा। और इस पूजा में माहिर हैं पंडित आशू शर्मा। पंडित आशू शर्मा एक ऐसे विद्वान हैं जिन्होंने काल सर्प दोष और इसके निवारण के तरीकों पर गहन अध्ययन किया है। अपने वर्षों के अनुभव और ज्ञान के बल पर, उन्होंने अब तक 5000 से अधिक लोगों की काल सर्प दोष पूजा करवाई है और सभी यजमानों को संतुष्टि प्रदान की है। काल सर्प दोष का गहरा ज्ञान: वे काल सर्प दोष के विभिन्न प्रकारों और उनके प्रभावों को अच्छी तरह से समझते हैं। कुशल पूजा विधि: वे काल सर्प दोष निवारण की प्राचीन और प्रभावी पूजा विधियों के विशेषज्ञ हैं। मंत्रों का जाप: वे विभिन्न मंत्रों का जाप करके दोष के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। यज्ञ और हवन: वे यज्ञ और हवन के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं। व्यक्तिगत परामर्श: वे व्यक्तिगत रूप से यजमानों को परामर्श देकर उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
अनंत कालसर्प दोष, कुलिक कालसर्प दोष, वासुकि कालसर्प दोष, शंखपाल कालसर्प दोष, पद्म कालसर्प दोष, महापद्म कालसर्प दोष, तक्षक कालसर्प दोष, कर्कोटक कालसर्प दोष, शंखचूर कालसर्प दोष, घातक कालसर्प दोष, विश्धर कालसर्प दोष, शेषनाग कालसर्प दोष। अगर आपको लगता है कि आपको कालसर्प दोष है और आप इसके उपायों के बारे में जानना चाहते हैं, तो कृपया आचार्य पंडित आशु शर्मा से सलाह करें। उनका अनुभव और ज्ञान आपके जीवन में सही दिशा प्रदान करने में मदद करेगा।
यदि हाँ, तो आप एकदम सही जगह पर हैं। उज्जैन, भारत का एक प्राचीन शहर है, जो अपने धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जो भगवान शिव का एक प्रमुख मंदिर है। मान्यता है कि उज्जैन में काल सर्प दोष पूजा का विशेष महत्व होता है। इसलिए, उज्जैन में काल सर्प दोष पूजा करवाने से आपको अधिक लाभ मिल सकता है। यहां, पंडित आशू शर्मा काल सर्प दोष निवारण पूजा के लिए प्रसिद्ध हैं। काल सर्प दोष एक ज्योतिषीय दोष है जो तब होता है जब सभी ग्रह राशि चक्र में एक सीधी रेखा में होते हैं और चंद्रमा को सर्प की तरह घेर लेते हैं। यह दोष व्यक्ति के जीवन में कई समस्याएं पैदा कर सकता है, जैसे कि विवाह में देरी, करियर में बाधाएं, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आदि। पंडित आशू शर्मा कई वर्षों से ज्योतिष शास्त्र में निपुण हैं और उन्होंने कई लोगों को काल सर्प दोष से मुक्ति दिलाई है। वे काल सर्प दोष पूजा को सभी विधि-विधान के साथ करते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि पूजा का पूरा लाभ मिल सके। वे प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तिगत ध्यान देते हैं और उनकी समस्याओं को समझने के लिए समय लेते हैं। सकारात्मक परिणाम: उनके द्वारा की गई पूजा के बाद कई लोगों ने अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखे हैं। "कालसर्प" शब्द दो शब्दों का संयोजन है: "काल=समय", और "सर्प=साँप"। यह दोष तब उत्पन्न होता है जब सभी ग्रह राहु और केतु के कब्जे में होते हैं, जो देखने में साँप की कुंडली में बंधा सा दिखता है। "कालसर्प दोष," जिसे "कालसर्प योग" भी कहा जाता है, व्यक्ति की जन्म कुण्डली से जुड़ा होता है। भारतीय ज्योतिष में, राहु और केतु को छायाग्रह माना जाता है, और ये वे बिंदु हैं जहां चंद्रमा का आवृत्ति (सूर्य की आकाशीय पथ) से काटता है। जब सभी सात प्रमुख ग्रह (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, और शनि) राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं, तो इसे कालसर्प दोष माना जाता है। जिस जातक की कुंण्डली मे कालसर्प योग है उसके सर्व सुखों का विनाश होता है। जीवन सुखमय बनाने के लिए कालसर्प योग का निवारण होना जरूरी है। कालसर्प दोष पूजा को कालसर्प योग भी कहा जाता है। कालसर्प दोष पूजा तब होती है जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आते हैं. कालसर्प योग (दोष) शब्द के संस्कृत में कई अर्थ हैं, लेकिन इस शब्द से जुड़े खतरे और खतरे का खतरा है. इसके कई अर्थों में, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि काल का मतलब समय है, और सर्प का मतलब सांप है। कालसर्प हानि, दुविधा, बाधा को सूचित करता है. कुंडली में कालसर्प होने से कितने लोगो को कष्ट हुवा है, इसका इतिहास गवाह है.
कालसर्प दोष के लक्षण: कुछ लोग या तो संतानहीन रह जाते हैं या फिर उनका संतान हमेशा रोगी रहता है. कालसर्प दोष होने पर नौकरी भी बार-बार छूटती रहती है और कई बार कर्ज भी लेना पड़ जाता है. कुंडली में काल सर्प योग तो ज्योतिष की सलाह से जल्द से जल्द इसका निवारण करना चाहिए. आइए जानते हैं क्या है कालसर्प दोष के लक्षण। 1) जिस व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष होते हैं इस व्यक्ति को अक्सर सपने में मृत लोग दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं कुछ लोगों को तो यह भी दिखाई देता है कि कोई उनका गला दबा रहा हो। 2) जिस व्यक्ति के जीवन में काल सर्प दोष होता है उसे जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है और जब उसको जरुरत होती है तब उसे अकेलापन महसूस होता है। 3) कालसर्प से पीड़ित व्यक्ति के कारोबार पर काफी नकारात्मक असर पड़ता है। इसे व्यापार में बार बार हानी का सामना करना पड़ता है। 4) इसके अलावा नींद में शरीर पर सांप को रेंगते देखना, सांप को खुद को डसते देखना। 5) बात-बात पर जीवनसाथी से वाद विवाद होना। यदि रात में बार बार आपकी नींद खुलती है तो यह भी काल सर्प दोष का ही लक्षण है। 6) इसके अलावा काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को सपने में बार-बार लड़ाई झगड़ा दिखाई देता है। 7) काल सर्प दोष के कारण व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान होता है। साथ ही सिर दर्द, त्वचारोग आदि भी कालसर्प दोष के लक्षण है।
यदि रात में बार बार आपकी नींद खुलती है तो यह भी काल सर्प दोष का ही लक्षण है। 6) इसके अलावा काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को सपने में बार-बार लड़ाई झगड़ा दिखाई देता है। 7) काल सर्प दोष के कारण व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान होता है। साथ ही सिर दर्द, त्वचारोग आदि भी कालसर्प दोष के लक्षण है।
कालसर्प दोष का कुंडली में समय रहते पता लगाकर उसका उपाय करना चाहिए. कालसर्प के बारे में मान्यता है कि ये दोष व्यक्ति को 42 वर्ष तक परेशान करता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब कुंडली के सातों ग्रह पाप ग्रह राहु-केतु के मध्य आ जाएं तो कालसर्प दोष बनता है.
भगवान विष्णु की पूजा करने से भी कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है। इसके लिए संभव हो तो रोजाना स्नान-ध्यान के बाद पीपल के पेड़ में जल का अर्घ्य दें। साथ ही सात बार परिक्रमा करें। काल सर्प दोष पूजन और महामृत्युंजय मंत्र के नियमित जाप से भी कालसर्प दोष का प्रभाव खत्म हो जाता है। अगर कोई कालसर्प दोष से पीड़ित है तो उसे हर साल सावन में नागपंचमी के दिन रुद्राभिषेक करवाना चाहिए। नाग पंचमी के दिन चांदी के नाग-नागिन का दान करना चाहिए। इसके साथ-साथ सावन के माह में रोजाना राहु और केतु के मंत्र का जाप करें। कालसर्प दोष निवारण के लिए नागपंचमी के दिन नागों की पूजा का विधान है।
कालसर्प दोष निवारण मंत्र नाग गायत्री मंत्र: 'ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्। ' इस मंत्र को कालसर्प दोष निवराण के लिए प्रभावी माना जाता है. इसके अलावा आप 'ॐ नमः शिवाय' और 'ॐ नागदेवताय नम:' मंत्र का जाप कर सकते हैं. रुद्राक्ष माला से 108 बार जप करना होता है.
कालसर्प दोष होने पर व्यक्ति शारीरिक और आर्थिक रूप से हमेशा परेशान रहता है. कुछ जातकों को इस दोष की वजह से संतान संबंधी कष्ट भी उठाने पड़ते हैं. मतलब या तो वो संतानहीन रहता है या फिर संतान रोगी होती है. कालसर्प दोष होने पर जातक की नौकरी भी बार-बार छूटती रहती है और उसे कई कर्ज भी लेना पड़ जाता है.
काल सर्प पूजा उज्जैन में करने के लिए, आपको 2100 /– रुपये से लेकर 5100 /- का भुगतान करना होगा। यह पूजा आप उज्जैन और त्रयम्बकेश्वर में करवा सकते हैं.
कुंडली में कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए आप आप हीरा और मोती की अंगूठी या फिर कोई और आभूषण पहन सकते हैं। इससे राहु का प्रभाव दूर होता है। वहीं, केतु का प्रभाव दूर करने के लिए आप लहसुनिया रत्न या तांबा धातु को धारण कर सकते हैं।
उज्जैन को कालसर्प दोष निवारण के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। यहां की पवित्र शक्ति और महाकालेश्वर की कृपा से कालसर्प दोष का प्रभाव कम हो जाता है। कालसर्प दोष निवारण के लिए नासिक का त्रयंबकेश्वर मंदिर भी सबसे अधिक प्रसिद्ध है।
ऐसी मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति को काल सर्प दोष हो तो उनके बने बनाए काम भी बिगड़ जाते हैं. काल सर्प दोष निवारण की पूजा के लिए देशभर के श्रद्धालु यहां-वहां भटकते रहते हैं लेकिन सबसे आसान और सटीक पूजा मध्य प्रदेश के उज्जैन के राजाधिराज भगवान महाकाल के दरबार में होती है. यहां दर्शन करने मात्र से ही काल सर्प दोष का निवारण हो जाता है. इसके अलावा महज 2100/- रुपए में पूजा कर काल सर्प दोष से मुक्ति पाई जा सकती है. .
कालसर्प योग ज्योतिष शास्त्र का एक जटिल विषय है। यह एक ऐसी ज्योतिषीय स्थिति है जिसमें सभी ग्रह एक वृत्त बनाते हैं और राहु-केतु इस वृत्त के भीतर या बाहर स्थित होते हैं। यह स्थिति व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकती है। कालसर्प योग मुख्यतः 12 प्रकार के होते हैं। ये प्रकार ग्रहों की स्थिति और राहु-केतु के स्थान के आधार पर निर्धारित होते हैं। 1. अनंत कालसर्प दोष राहु लग्न में हो और केतु सप्तम भाव में स्थित हो तथा सभी अन्य ग्रह सप्तम से द्वादश, एकादशी, दशम, नवम, अष्टम और सप्तम में स्थित हो तो यह अनंत कालसर्प योग कहलाता है। अनंत कालसर्प दोष ज्योतिष शास्त्र में एक विशेष प्रकार का कालसर्प योग है। यह एक ऐसी ज्योतिषीय स्थिति है जिसमें सभी ग्रह एक वृत्त बनाते हैं और राहु-केतु इस वृत्त के भीतर या बाहर स्थित होते हैं। अनंत कालसर्प योग में एक विशिष्ट व्यवस्था होती है, जिसके कारण इसे अन्य कालसर्प योगों से अलग माना जाता है। यह योग व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं को पैदा कर सकता है, जैसे कि विवाह में बाधाएं, करियर में रुकावटें, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आदि। 2. कुलिक कालसर्प दोष राहु द्वितीय भाव में तथा केतु अष्टम भाव में हो और सभी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में हो तो कुलिक नाम कालसर्प योग होगा। कुलिक कालसर्प दोष ज्योतिष शास्त्र में एक विशेष प्रकार का कालसर्प योग है। यह एक ऐसी ज्योतिषीय स्थिति है जिसमें सभी ग्रह एक वृत्त बनाते हैं और राहु-केतु इस वृत्त के भीतर या बाहर स्थित होते हैं। कुलिक कालसर्प योग में एक विशिष्ट व्यवस्था होती है, जिसके कारण इसे अन्य कालसर्प योगों से अलग माना जाता है। 3. वासुकी कालसर्प दोष राहु तृतीय भाव में स्थित है तथा केतु नवम भाव में स्थित होकर जिस योग का निर्माण करते हैं तो वह दोष वासुकी कालसर्प दोष कहलाता है। 4. शंखपाल कालसर्प दोष राहु चतुर्थ भाव में तथा केतु दशम भाव में स्थित होकर अन्य ग्रहों के साथ जो निर्माण करते हैं तो वह कालसर्प दोष शंखपाल के नाम से जाना जाता है। 5. पद्य कालसर्प दोष चतुर्थ स्थान पर दिए दोष के ऊपर का है पद्य कालसर्प दोष इसमें राहु पंचम भाव में तथा केतु एकादश भाव में साथ में एकादशी पंचांग 8 भाव में स्थित हो तथा इस बीच सारे ग्रह हों तो पद्म कालसर्प योग बनता है। 6. महापद्म कालसर्प दोष राहु छठे भाव में और केतु बारहवे भाव में और इसके बीच सारे ग्रह अवस्थित हों तो महापद्म कालसर्प योग बनता है। 7. तक्षक कालसर्प दोष जन्मपत्रिका के अनुसार राहु सप्तम भाव में तथा केतु लग्न में स्थित हो तो ऐसा कालसर्प दोष तक्षक कालसर्प दोष के नाम से जाना जाता है। 8. कर्कोटक कालसर्प दोष केतु दूसरे स्थान में और राहु अष्टम स्थान में कर्कोटक नाम कालसर्प योग बनता है। 9. शंखचूड़ कालसर्प दोष सर्प दोष जन्मपत्रिका में केतु तीसरे स्थान में व राहु नवम स्थान में हो तो शंखचूड़ नामक कालसर्प योग बनता है। 10. घातक कालसर्प दोष कुंडली में दशम भाव में स्थित राहु और चतुर्थ भाव में स्थित केतु जब कालसर्प योग का र्निमाण करता है तो ऐसा कालसर्प दोष घातक कालसर्प दोष कहलाता है। 11. विषधर कालसर्प दोष केतु पंचम और राहु ग्यारहवे भाव में हो तो विषधर कालसर्प योग बनाते हैं। 12. शेषनाग कालसर्प दोष कुंडली में राहु द्वादश स्थान में तथा केतु छठे स्थान में हो तथा शेष 7 ग्रह नक्षत्र चतुर्थ तृतीय और प्रथम स्थान में हो तो शेषनाग कालसर्प दोष का निर्माण होता है। शिव करते हैं काल सर्प का शमन भगवान शंकर जिन्होंने जगत के कल्याण के लिए कालकूट विष को अपने गले में धारण कर लिया उनके अतिरिक्त कालसर्प आदि ग्रह दोषों का शमन करने में और कौन समर्थ है। इसलिए जिस किसी को भी इस योग से कष्ट मिल रहा हो वह महाकाल रूद्र की आराधना करे। ऐसा करने से कालसर्प दोष से स्वत: ही मुक्ति मिल जाती है। अतः सावन मास में नागपंचमी पर पूजन कालसर्प दोष शांति का सही समय है, और जो व्यक्ति पूर्व में कालसर्प दोष की शांति कर चुके हैं उन्हें भी इस नाग पंचमी पर कालसर्प दोष की शांति करनी चाहिए। इसके लिए नांग पंचमी पर प्रात: काल किसी प्राचीन शिव मंदिर में जा कर शिवलिंग को दूध से स्नान करायें। नाग और मोर की आकृति को शिवलिंग पर चढ़ाएं और पुष्पहार अर्पित करें। साथ ही एक धतूरा अवश्य चढ़ाएं।
आचार्य पंडित आशु शर्मा जी जो को समस्त प्रकार के अनुष्ठानो का प्रयोगत्मक ज्ञान एवं सम्पूर्ण विधि विधान की जानकारी पंडित जी के गुरूजी से प्राप्त हुई है, एवं सभी प्रकार के दोष एवं बाधाओ के निवारण कार्यो को करते हुए 20 वर्षो से भी ज्यादा हो गया है।